भैया रे! ओ भैया रे!
है दुनिया जादू-मंतर की.
पार समुंदर का जादूगर
मीठा मंतर मारे
पड़े चाँदनी काली, होते
मीठे सोते खारे
बढ़ी-बढ़ी जाती गहराई
उथली धरती, खंतर की.
अपनी खाते-पीते ऐसा
करे टोटका-टोना
कौर हाथ से छूटे, मिट्टी
होता सारा सोना
एक खोखले भय से दुर्गत
ठाँय लुकुम हर अंतर की.
उर्वर धरती पर तामस है
बीज तमेसर बोये
अहं-ब्रह्म दुर्गंधित कालिख
दूध-नदी में धोये
दिग्-दिगन्त अनुगूँजें हैं मन
काले-काले कंतर की.
पाँच पहाड़ी, पाँच पींजरे
हर पिंजरे में सुग्गा
रक्त समय का पीते
लेते हैं बारूदी चुग्गा
इनकी उमर, उमर जादूगर
जादू-कथा निरन्तर की.
नवगीत पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक धन्यवाद, श्रीराम राय सा. स्नेह बनाए रखें.
ReplyDeleteप्रिय गीते जी,
ReplyDeleteदादी की परी-कहानी की बानगी देता आपका यह गीत, सच में, अद्भुत बन पड़ा है। अन्य रचनाएँ भी अच्छी हैं। मेरा हार्दिक साधुवाद स्वीकारें। आपके ब्लॉग के माध्यम से आपके सृजन से यह परिचय सुखद है। नववर्ष आ ही गया - इस शुभ वेला पर सपरिजन मेरा स्नेहाभिनन्दन स्वीकारें।
स्नेह-नमन सहित
आपका
कुमार रवीन्द्र
श्रद्धेय, सादर नमन. आप जैसे गीत-पुरुष से बहुत उर्जस्वित करने वाली प्रशंसा पाकर अभिभूत हूँ. आपकी यह प्रतिक्रिया अमूल्य है मेरे लिये. बहुत-बहुत धन्यवाद. आपको भी सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
DeleteHi Badhaiyan.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, सर.
DeleteSaral bhasha ki viralta ko bhed pana sahaj nahi hai. Aapki bhasha aur vicharon ki saralta main chhipi adrishya bauddhikta aur bhavnaen aam admi ki pahuch se koso dur hai. Par jo samajh gaya vo ....
ReplyDeleteआ. भाई श्री अरविंद त्रिपाठी जी, हार्दिक धन्यवाद. स्नेह बनाए रखें.
Delete
ReplyDeleteआ शशिकांत जी आपका यह नवगीत पढना अपने समय को पढने जैसा है. एक एक शब्द जादुई है. यहाँ आकर मैं अभिभूत हूँ. आपको बधाई.- परमेश्वर फूंकवाल
आ. भाई श्री परमेश्वर फुँकवाल जी, आपकी बहुत उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक धन्यवाद. स्नेह बनाए रखें.
Deleteshandar navgeet badhai ke patra hain aap.......
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, आ. सुनील कुमार जी. स्नेह बनाए रखें.
ReplyDeleteबहुत खूब ..बिल्कुल जादू..
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, आ. अर्चना जी. स्नेह बनाए रखें.
ReplyDeletebahut sundar navgeet geete ji jadoo hai sada kalam me . badhai , blog accha lag raha hai
Deleteहार्दिक धन्यवाद, आ. शशि पुरवार जी. ब्लाग तो आपके अमूल्य सहयोग का ही नतीजा है.
ReplyDeleteगीते जी आपकी कविता पढ़ते पढ़ते हम तो सही में जादू की दुनियां में चले गए- बहुत अच्छा -फुर्सत में कभी इधर भी पधारे
ReplyDeletelatest post सुख -दुःख
हार्दिक धन्यवाद. आ. कालीपद प्रसाद जी. जी. अवश्य.
Deleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, आ. अन्जू (अनु) चौधरी जी.
Deleteबहुत सुंदर है नवगीत..
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, आ. रश्मि शर्मा जी.
Deleteबढ़िया लगा...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद, आ. वीना श्रीवास्तव जी.
Deleteहार्दिक धन्यवाद, आ. मदन मोहन शर्मा जी. जी, अवश्य.
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