Tuesday, 16 May 2023

एक मछली सिरफिरी



नदी से उछली, उछलकर

गर्म रेती पर गिरी

एक मछली सिरफिरी।


अब तड़पती है चमकते

जाल में आकर फँसी            

देह अंतर चीर जाती

धूप मछुआरिन हँसी

एक ग्रंथित दुष्ट मौसम

की  व्यवस्था में घिरी।

एक मछली सिरफिरी।


आँख से ओझल नदी, गुम

हुए संकेत सारे

स्मरण भर शेष मीठे कल

हुए हैं आज खारे

स्वप्न नीले, हाट- बाटों

आँख- आँखों किरकिरी।

एक मछली सिरफिरी।